भारत में आई बाढ़: एक बढ़ती हुई चुनौती भारत में हालिया बाढ़: प्रकृति का कहर और मानवीय चुनौतियाँ
August 29, 2025 | by kaushikkurkan

भारत एक विशाल भौगोलिक और विविधतापूर्ण देश है, जहाँ नदियाँ जीवनरेखा मानी जाती हैं। गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना, गोदावरी और कावेरी जैसी नदियाँ न केवल सिंचाई और पेयजल का स्रोत हैं, बल्कि करोड़ों लोगों के जीवन का सहारा भी हैं। मगर यही नदियाँ हर वर्ष मानसून के दौरान बाढ़ के रूप में भयावह संकट लेकर आती हैं। हाल ही में देश के कई राज्यों में आई बाढ़ ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक हम इस प्राकृतिक आपदा को केवल “प्राकृतिक” मानकर नज़रअंदाज़ करते रहेंगे?
बाढ़ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत में बाढ़ कोई नई बात नहीं है। इतिहास गवाह है कि गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन, बिहार, असम और बंगाल जैसे राज्य हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आते हैं। 1950 से लेकर अब तक देश में आई बड़ी-बड़ी बाढ़ों ने लाखों लोगों का जीवन प्रभावित किया है। 2008 में बिहार की कोसी नदी की बाढ़ ने लगभग 30 लाख लोगों को बेघर कर दिया था। 2013 में उत्तराखंड की केदारनाथ आपदा ने भीषण तबाही मचाई। यह उदाहरण बताते हैं कि भारत में बाढ़ स्थायी और गंभीर समस्या है।
बाढ़ के प्रमुख कारण
भारत में बाढ़ आने के पीछे कई कारण जुड़े हुए हैं।
- अत्यधिक वर्षा और मानसून की अनियमितता – मानसून के दिनों में औसत से अधिक बारिश होने पर नदियाँ उफान पर आ जाती हैं।
- नदियों में गाद और अवरोध – समय-समय पर नदियों की सफाई न होने से उनका जलस्तर जल्दी बढ़ जाता है।
- शहरीकरण और अनियोजित विकास – शहरों में कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं और प्राकृतिक जल निकासी व्यवस्था नष्ट हो चुकी है।
- बांध और तटबंध की कमजोरी – कई जगह पुराने और कमजोर बांध टूट जाते हैं, जिससे लाखों क्यूसेक पानी अचानक गाँवों और शहरों में घुस जाता है।
- जलवायु परिवर्तन – ग्लोबल वार्मिंग के कारण बारिश का पैटर्न बदल रहा है। कहीं लंबे सूखे, तो कहीं अचानक भारी बारिश बाढ़ का कारण बनती है।
बाढ़ के प्रभाव
बाढ़ केवल पानी भरने की समस्या नहीं है, बल्कि यह बहुआयामी संकट है।
1. मानवीय संकट
लाखों लोग बेघर हो जाते हैं, हजारों लोगों की जान चली जाती है। घर, स्कूल, अस्पताल सब जलमग्न हो जाते हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है।
2. कृषि पर प्रभाव
भारत एक कृषि प्रधान देश है। बाढ़ आने पर धान, गन्ना, दालें और सब्जियों की फसलें पूरी तरह नष्ट हो जाती हैं। किसान कर्ज़ में डूब जाते हैं और आत्महत्या जैसे कदम तक उठा लेते हैं।
3. स्वास्थ्य संकट
गंदा पानी और जलभराव डेंगू, मलेरिया, हैजा, टाइफाइड जैसी बीमारियाँ फैलाता है। राहत शिविरों में साफ पानी और दवाई की कमी और गंभीर समस्याएँ खड़ी करती है।
4. आर्थिक नुकसान
सड़कें, पुल, रेलमार्ग, बिजली और दूरसंचार सेवाएँ बर्बाद हो जाती हैं। सरकार को हर साल अरबों-खरबों रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है।
5. पर्यावरणीय असर
पेड़-पौधे, जानवर और जलीय जीव भी बाढ़ की चपेट में आते हैं। नदियों के आसपास की उपजाऊ मिट्टी कट जाती है जिससे भूमि बंजर हो जाती है।
सरकार और समाज की भूमिका
बाढ़ आने पर सरकार और समाज दोनों मिलकर राहत कार्यों में जुटते हैं।
- सरकारी प्रयास – सेना, NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और स्थानीय प्रशासन नावों, हेलीकॉप्टरों और ट्रकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाते हैं।
- राहत शिविर – अस्थायी शिविरों में पीने का पानी, भोजन, कपड़े और दवाइयाँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
- सामाजिक संगठन – NGO और स्थानीय स्वयंसेवी संगठन भोजन और सहायता सामग्री बाँटते हैं।
- डिजिटल मदद – सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए लोग चंदा इकट्ठा करके पीड़ितों तक मदद पहुँचाते हैं।
समाधान और भविष्य की रणनीति
बाढ़ को पूरी तरह रोक पाना संभव नहीं है, लेकिन इसके नुकसान को कम किया जा सकता है।
- नदियों की नियमित सफाई और गाद निकालना।
- मजबूत ड्रेनेज सिस्टम और बाँधों का निर्माण।
- अत्याधुनिक तकनीक और सैटेलाइट मॉनिटरिंग से पहले से चेतावनी देना।
- वनों की कटाई रोकना और ज्यादा पेड़ लगाना।
- स्थायी पुनर्वास नीति – हर साल बाढ़ प्रभावित परिवारों को राहत देने के बजाय उन्हें सुरक्षित स्थानों पर स्थायी रूप से बसाना।
- जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण – कार्बन उत्सर्जन घटाना और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील नीतियाँ अपनाना।
भारत में हालिया बाढ़: प्रकृति का कहर और मानवीय चुनौतियाँ
प्राकृतिक पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
2025 के मॉनसून सीजन में भारत की कई हिस्सों—जैसे उत्तर भारत, पूर्वोत्तर, दक्षिण, और हिमालयी क्षेत्र—में तेज बारिश, नदी-उफान, तेज तूफ़ान, क्लाउडबर्स्ट तथा भू-स्खलन जैसी घटनाओं का सिलसिला जारी रहा है, जिसने कई क्षेत्रों में बाढ़ और जानमाल का भारी नुकसान किया है।
प्रभावित क्षेत्र और हानियाँ
1. हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड
- किश्तवाड (जम्मू-कश्मीर)
14 अगस्त 2025 को चोशिति (Chashoti) गांव में क्लाउडबर्स्ट के कारण फ्लैश फ्लड हुई। इस हादसे में 67 से अधिक लोगों की मौत, 300 घायल और लगभग 200 लोग लापता हुए । - उत्तरेकश्मीर (उत्तराखंड, उत्तरकाशी में Dharali)
5 अगस्त 2025 को आए फ्लैश फ्लड में लगभग 5 लोगों की मौत और 50 से अधिक लोग लापता हुए, जबकि करीब 190 लोगों को बचाया गया । - प्राकृतिक आपदाओं का स्वरूप: क्लाउडबर्स्ट, ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट और भू-स्खलन की संयुक्त घटनाएँ रही हैं।
2. पूर्वोत्तर भारत (Assam, Arunachal Pradesh, Manipur इत्यादि)
- जून 2025 की बाढ़ और भू-स्खलनों में 36 लोगों की मौत हुई और पूरे क्षेत्र में 5.5 लाख (550,000+) से अधिक लोग प्रभावित हुए ।
- असम अकेले में 5.15 लाख लोगों तक प्रभावित हुए, 22 जिलों में भारी तबाही हुई ।
- कई जिलों में सड़कों, पुलों, और सम्पर्क मार्गों को भारी क्षति पहुँची।
3. उत्तर और मध्य भारत (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़)
- उत्तर प्रदेश की कई नदियाँ (गंगा, यमुना, घाघरा, कोसी, बुरी गंडक आदि) डेंजर मार्क से ऊपर बह रहीं और कई जिलों में बाढ़ का गंभीर प्रभाव रहा। लगभग 84,000 लोग 400 से अधिक गांवों में प्रभावित हुए, और 11,000 से अधिक लोग राहत शिविरों में गए ।
- मध्य प्रदेश में हजारों लोगों को बचाया गया और राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया ।
- छत्तीसगढ़ में 95 वर्षों में सबसे भीषण बारिश और बाढ़ से 8 लोगों की मौत, हजारों लोग बेघर और लगभग ₹1,000 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ ।
4. महाराष्ट्र व तेलंगाना
- महाराष्ट्र के मध्य-महा घाटी क्षेत्र में भीषण बारिश के कारण 7 लोगों की मौत (बिजली गिरने व डूबने से)। नंदेड से 2,300 से अधिक लोगों को निकाला गया; लातूर में 49 सड़कों को बंद करना पड़ा ।
- तेलंगाना के कई जिलों—जैसे कामरेड्डी, मेडक, सिरसिला—में 494 मिमी तक बारिश हुई। 1 व्यक्ति की मौत, 4 लापता, 1,000 से अधिक लोग बचाए गए, हेलीकॉप्टर से जानवरों और लोगों को एयरलिफ्ट भी किया गया ।
5. पंजाब
- पंजाब में रवि नदी के उफान से लगभग 50 गांव जलमग्न हुए, 1,000 से अधिक लोग निकाले गए। राहत शिविरों में 200 से अधिक लोगों को भोजन, पानी और दवाइयाँ मुहैया कराई गईं ।
- मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विशेष गिर्दावारी का आदेश देकर प्रभावितों को समुचित मुआवजा देने का आश्वासन दिया ।
व्यापक प्रभाव (सारांश)
क्षेत्र | प्रमुख घटनाएँ | मानव व आर्थिक प्रभाव |
---|---|---|
हिमालय (उत्तराखंड, J&K, HP) | क्लाउडबर्स्ट, फ्लैश फ्लड | कई दर्जन मौतें, सैंकड़ों घायल/लापता |
पूर्वोत्तर | बाढ़ और भू-स्खलन | 36+ मौतें, 5.5 लाख प्रभावित |
उत्तर मध्य (UP, MP, CG) | नदी उफान, प्रभावित गांव | लाखों प्रभावित, भारी वित्तीय नुकसान |
दक्षिण (TN, Telangana) | तेज बारिश, बाढ़ | हजारों की निकासी, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रभावित |
पश्चिम (Maharashtra) | बारिश व बिजली गिरना | 7 मौतें, सुरक्षा बंदोबस्त हुआ |
पंजाब | नदी की बाढ़ | 1,000+ निकाले, राहत माध्यम शुरू |
राहत कार्य और सरकारी प्रतिक्रिया
- राहत कर्म: NDRF, SDRF, सेना, स्थानीय प्रशासन, NGO और सोशल मीडिया के माध्यम से बचाव, राहत शिविर, भोजन, दवा आदि उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
- आर्थिक सहायता: केंद्र सरकार ने फ्लड प्रभावित राज्यों को SDRF के तहत ₹1,066 करोड़ जारी किए; 14 राज्यों को ₹6,166 करोड़ पहले ही मिले हैं । पंजाब में विशेष गिर्दावारी कर मुआवजे का आश्वासन दिया गया है ।
- राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ: तेलंगाना में विपक्ष ने राहत कार्य की धीमी प्रतिक्रिया पर सरकार की आलोचना की और मुआवजे व पुनर्वास की मांग की ।
समापन विचार
2025 की हालिया बाढ़ ने स्पष्ट किया है कि जलवायु परिवर्तन, अनियोजित विकास और कमजोर बुनियादी ढांचे कितने कटु परिणाम दे सकते हैं। यह समय है:
- सतत जलवायु नीति और पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने का।
- नदी तटबंध, बांध, ड्रेनेज और इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूती प्रदान करने का।
- स्थानीय प्रशासन और समुदायों में आपदा-प्रबंधन क्षमता बढ़ाने का।
- जीवन रक्षा और पुनर्वास के लिए दीर्घकालिक योजनाओं को लागू करने का।
निष्कर्ष
भारत में आई बाढ़ सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि यह मानव की लापरवाहियों और अनियोजित विकास का परिणाम भी है। यदि हमने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो भविष्य में बाढ़ और ज्यादा भयावह रूप ले सकती है। आज ज़रूरत है कि सरकार, समाज और आम नागरिक मिलकर दीर्घकालिक रणनीति बनाएं। तभी हम इस आपदा को अवसर में बदलकर सुरक्षित और संतुलित जीवन जी सकेंगे।
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