भारत का स्वतंत्रता दिवस: 15 अगस्त का गौरवशाली इतिहास और महत्व
August 15, 2025 | by kaushikkurkan

15 अगस्त, 1947 — यह वह दिन है जो हर भारतीय के दिल में गर्व और आज़ादी की भावना भर देता है। यही वह तारीख है जब भारत ने ब्रिटिश शासन से 200 वर्षों की गुलामी के बाद स्वतंत्रता प्राप्त की। आज, यह दिन केवल एक राष्ट्रीय अवकाश नहीं, बल्कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों, संघर्ष और त्याग की याद का प्रतीक है।
स्वतंत्रता का संघर्ष
भारत की आज़ादी एक दिन में नहीं मिली। यह संघर्ष कई दशकों तक चला जिसमें महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और लाखों अनाम क्रांतिकारियों ने अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।
1857 की क्रांति ने आज़ादी के आंदोलन की नींव रखी।
गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला दिया।
नौजवान क्रांतिकारियों के साहसिक कार्यों ने जनता में जोश और आत्मसम्मान जगाया।
15 अगस्त 1947 की सुबह
15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण “Tryst with Destiny” देकर आज़ाद भारत की शुरुआत की। लाल किले पर तिरंगा फहराया गया और देश में उल्लास और जश्न का माहौल था।
आज के समय में 15 अगस्त
आज, हर साल 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री लाल किले से तिरंगा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं। स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी संस्थानों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, देशभक्ति गीत गाए जाते हैं और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
इस दिन का महत्व
हमें याद दिलाता है कि आज़ादी की कीमत बहुत बड़ी होती है।
हमें अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का एहसास कराता है।
यह दिन एकता, भाईचारे और देशभक्ति की भावना को मजबूत करता है।
निष्कर्ष
15 अगस्त केवल एक तारीख नहीं, बल्कि यह हमारी अस्मिता, सम्मान और बलिदान का प्रतीक है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने देश की रक्षा करें, इसे प्रगति की राह पर ले जाएं और आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर भारत दें।
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भारत की आज़ादी में महिलाओं का अद्भुत योगदान
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जहां पुरुष स्वतंत्रता सेनानियों का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है, वहीं कई वीरांगनाओं ने भी अपने साहस, त्याग और नेतृत्व से स्वतंत्रता की लड़ाई को नई दिशा दी। आइए जानते हैं कुछ ऐसी महान महिलाओं के बारे में जिन्होंने आज़ादी के आंदोलन में अमूल्य योगदान दिया।
1. बेगम हजरत महल
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में बेगम हजरत महल ने नाना साहिब, तांतिया टोपे और अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह किया। 1984 में, भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया।
2. अरुणा आसफ़ अली
कांग्रेस पार्टी की सशक्त समर्थक अरुणा आसफ़ अली ने नमक सत्याग्रह में सक्रिय भागीदारी की। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समाचारपत्र “इंकलाब” की मासिक संपादक रहीं।
- उन्हें “स्वतंत्रता आंदोलन की ग्रैंड ओल्ड लेडी” कहा जाता है।
- भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने बॉम्बे में कांग्रेस का झंडा फहराया और साहस का प्रतीक बनीं।
3. एनी बेसेंट
आयरलैंड में जन्मी एनी बेसेंट भारतीय राजनीति और शिक्षा में सक्रिय रहीं।
- कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनीं।
- 1916 में भारतीय होम रूल आंदोलन की शुरुआत की।
- “न्यू इंडिया” नामक समाचारपत्र की स्थापना की।
- वाराणसी में 1913 में सेंट्रल हिंदू कॉलेज हाई स्कूल की स्थापना की।
4. कस्तुरबा गांधी
महात्मा गांधी की पत्नी कस्तुरबा गांधी ने राजकोट सत्याग्रह, चंपारण आंदोलन और अन्य कई अभियानों में सक्रिय भागीदारी की।
- वे महिला सत्याग्रह का नेतृत्व करती थीं।
- गरीबों और किसानों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाती थीं।
5. कमला नेहरू
जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं।
- संयुक्त प्रांतों में कर-विरोध अभियान में भाग लिया।
- रैलियों का आयोजन किया और शराब व विदेशी कपड़ों की दुकानों पर पिकेटिंग की।
6. विजया लक्ष्मी पंडित
मोतीलाल नेहरू की बेटी और कांग्रेस पार्टी की नेता विजया लक्ष्मी पंडित ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ गैर-सहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया।
- भारत छोड़ो आंदोलन (1940 और 1942) में जेल गईं।
- स्वतंत्रता के बाद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया।
भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी — FAQs
Q1. भारत के 5 प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी कौन से हैं?
- महात्मा गांधी
- सुभाष चंद्र बोस
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- जवाहरलाल नेहरू
- लाल बहादुर शास्त्री
Q2. सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी कौन हैं?
महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू और भगत सिंह।
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